गलती से भी इस दिन ना खोलें हाथ में बंधा कलावा
अक्सर लोग करते हैं ये बड़ी गलती; जानें सही विधि हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य में कलावा या मौली विशेष रूप से बांधी जाती है. कलावे के लाल या पीले रंग का भी एक विशेष महत्व होता है. कलाई पर कलावा बांधने से कई प्रकार के शारीरिक लाभ भी मिलते हैं. शास्त्रों में इसे लेकर कुछ नियम बताए गए हैं.
ज्योतिष शास्त्र और भारतीय संस्कृति में कलावा का विशेष महत्व होता है. यह एक लाल रंग का धागा होता है, जिसे कलाई पर बांधा जाता है. कलावा को सुरक्षा, सौभाग्य, और मंगल का सूचक माना जाता है. पूजा-पाठ, विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, त्योहार या फिर अन्य धार्मिक अवसरों पर इसे कलाई में बांधने की परंपरा है. यह बुरी नजर, बुरे योग, और अशुभता से भी बचाता है, लेकिन इसे कब अपने हाथों से उतारना चाहिए या बदलना चाहिए, बताते हैं इसके नियम
क्यों पहना जाता है कलावा-
कलावा बांधने से त्रिदेवों के साथ तीनों देवियों मां लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जो भी कार्य करने जा रहे हैं, वह बिना किसी बाधा के पूर्ण होते हैं. मौली और कलावा को रक्षा सूत्र भी कहते हैं, जो हमारे बुरे समय में रक्षा करता है, इससे घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है. मौली और कलावा बांधने से व्यक्ति का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.
किस हाथ में कलावा बांधना शुभ- धार्मिक विद्वानों के मुताबिक, विवाहित महिलाओं को कलावा अपने बाएं हाथ में बंधवाना चाहिए, जबकि कुंवारी लड़कियों को दाहिने हाथ में कलावा बंधवाना शुभ रहता है. वहीं पुरुष के लिए भी दाहिने हाथ में कलावा बंधवाना मंगलकारी रहता है.
कलावा कैसे बांधा जाता है:-
शास्त्रों के अनुसार, जिस हाथ में आप कलावा बांध रहे हैं तो उस हाथ में सिक्का या रुपया लेकर मुट्ठी बंद कर लें. उसके बाद दूसरे हाथ को सिर पर रखें. हाथ में 3, 5 या 7 बार कलावा लपेटना चाहिए. कलावा बंध जाने के बाद हाथ में रखी दक्षिणा उस व्यक्ति को भेंट में दें, जिसने आपके हाथ में कलावा बांधा है.
उतरे हुए कलावे का क्या करें:-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हाथ में बांधा हुआ कलावा मंगलवार और शनिवार के दिन ही खोलना चाहिए. इसको खोलने के बाद पूजा घर में ही बैठकर दूसरा कलावा बधवाएं. इसके बाद हाथ से कलावा उतारने के बाद इसे पीपल के पेड़ के नीचे रख दें या फिर बहते पानी में प्रवाहित कर दें.
()