उत्क्रमित मध्य विद्यालय पथराहा हिंदी में चार शिक्षकों के भरोसे कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई
अररिया(रंजीत ठाकुर): बिहार सरकार जहां कागजों पर शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होने की बात कह रही है,वहीं ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था बद से बदतर देखने को मिल रहा है। शिक्षक और छात्र के अनुपात की बात करें तो कहीं छात्रों की संख्या अधिक है और शिक्षकों की संख्या कम है। कहीं शिक्षक हैं तो बच्चे नहीं हैं। यह आलम है अररिया जिला के सीमावर्ती क्षेत्रों के विद्यालयों का। समाचार संकलन के दौरान नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र के सीमावर्ती पथराहा पंचायत के वार्ड संख्या सत्रह में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय पथराहा हिंदी, लखन सिंह टोला में कुल तीन सौ बीस बच्चे नामांकित है, एक से आठ तक की कक्षा संचालित है, लेकिन विद्यालय में मात्र 4 शिक्षक ही कार्यरत हैं जिसमें दो शिक्षिका एवं दो शिक्षक हैं,उसमें से एक शिक्षक प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त हैं। समाचार संकलन के दौरान देखा गया कि कक्षा संचालन मात्र दो शिक्षकों के द्वारा किया जा रहा था।
वहीं देखा गया कि विद्यालय के छात्र ही कक्षा संचालन में शिक्षण कार्य कर रहे थे। ऐसे छात्रों ने बताया कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी होने के कारण छोटे-छोटे बच्चों को हमलोग शिक्षण अधिगम में मदद करते है। प्रधानाध्यापक बेचन पोद्दार ने बताया कि विद्यालय में नामांकित छात्रों के तुलना में शिक्षकों की संख्या बहुत कम है।यहाँ कार्यरत मात्र चार शिक्षक हैं, जिसमें सहायक शिक्षक विजय कुमार, शिक्षिका कुमारी रूपा,आभा कुमारी है। दोनों शिक्षिका अवकाश में है, इसलिए उच्च प्राथमिक कक्षा के मेघावी छात्र कक्षा संचालन हेतु प्राथमिक कक्षा में बच्चों को मदद कर रहें हैं। मेरे द्वारा शिक्षकों की कमी की जानकारी वरीय पदाधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों को दिया गया है, लेकिन अभी भी यहां शिक्षकों की कमी है। बताते चलें कि बिहार सरकार की शिक्षा व्यवस्था खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण अधिगम का जो कार्य है वह सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है।इसका मुख्य कारण शिक्षकों की कमी एवं शिक्षण के उद्देश्य की प्राप्ति की प्रतिबद्धता में कमी है।