मैकेनिकल वेंटिलेशन उपकरण को लेकर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

पूर्णिया(खौफ 24): मैकेनिकल वेंटिलेशन यानी यांत्रिक श्वसन उपकरण जिसे हमलोगों के द्वारा आमतौर पर एक अल्पकालिक उपाय के रूप में उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग अस्पताल में उन रोगियों के लिए किया जा सकता है, जो गंभीर रूप से बीमार हैं और जिनका फेफड़ा, दिल या दिमाग अपने आप से काम नही कर पा रहा है। ऐसे मरीज़ों को कृत्रिम रूप से सांस देने की जरूरत पड़ सकती है जिसके लिए वेंटीलेटर की आवश्यकता होती है। मैकेनिकल वेंटिलेशन से संबंधित जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का अयोजन केयर इंडिया के सहयोग से किया गया।

इस अवसर पर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल के अधीक्षक डॉ वरुण कुमार ठाकुर, डॉ नीरज, जीएमसीएच में बच्चा रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रेम प्रकाश, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजू कुमार, डॉ राजेश कुमार, डॉ राकेश कुमार, डॉ सतीश कुमार, एसएनसीयू की जीएनएम रचना मंडल, पीवी रमन्नमा, सुलेखा कुमारी, रेखा कुमारी, बच्चा वार्ड की जीएनएम बबिता कुमारी एवं पूजा दास के अलावा केयर इंडिया के डीटीएल आलोक पटनायक, सनत गुहा सहित कई अन्य अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे। जबकिं प्रशिक्षक के रूप में केयर इंडिया पटना की ओर से आई प्रशिक्षक डॉ प्राची (DM, Neonatology) के द्वारा संपन्न कराया गया।

वेंटिलेटर पर रखे हुए बच्चों को बहुत ज्यादा मॉनिटरिंग की होती है आवश्यकता: अधीक्षक


राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल के अधीक्षक डॉ वरुण कुमार ठाकुर ने कहा कि यांत्रिक श्वसन
(मैकेनिकल वेंटिलेशन) के द्वारा तकनीकी सहयोग के माध्यम से रोगियों के फेफड़ों में गैस को स्थानांतरित किया जाता है। मैकेनिकल वेंटिलेशन ऑक्सीजन की डिलीवरी और कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने में काफ़ी मदद करता है। इसके साथ ही अपने लक्ष्य के अनुरूप फेफड़ों में हवा को अंदर और बाहर ले जाने में सहयोग करता है।

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हालांकि मैकेनिकल वेंटिलेशन का उपयोग कई कारणों से किया जाता है। जिसमें मैकेनिकल या न्यूरोलॉजिक कारणों से वायुमार्ग की रक्षा करना, पर्याप्त ऑक्सीजनेशन सुनिश्चित करना या फेफड़ों से अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को निकालना शामिल है। मैकेनिकल वेंटिलेशन के उपयोग के साथ विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रदाता शामिल हैं। जिन लोगों को वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है, उनकी आमतौर पर निगरानी की जाती है।

नवजात शिशुओं में सांस जारी रखने के लिए मैकेनिकल वेंटिलेशन का अत्यधिक महत्व: आलोक


केयर इंडिया के डीटीएल आलोक पटनायक ने बताया कि प्रसव केंद्र में कंगारू मदर केयर भी एक तरह से नवजात शिशुओं के लिए बहुत जरूरी होता है। क्योंकि कम वजन या प्री मेच्योर नवजातों को इसमें मां की छाती से लगाकर रखा जाता है। ताकि नवजात शिशुओं के शरीर का तापमान बना रहे। कुल प्रसव हुए बच्चों में लगभग एक प्रतिशत तक नवजात शिशुओं को मैकेनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता हो सकती है।

इसके अलावा अन्य रूप से भी गंभीर बीमार बच्चों को भी वेंटीलेटर की जरूरत होती है। वेंटिलेशन को देने के लिए कई तरह के वेंटीलेटर होते हैं।काम में आते हैं। किसी अन्य प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा चालित वायु-बैग का उपयोग आसानी से किया जा सकता है। वेंटिलेशन को नकारात्मक एक्स्ट्राथोरेसिक दबाव या आंतरिक सकारात्मक दबाव द्वारा किया जा सकता है। निरंतर प्रवाह वाले वेंटिलेटर में प्रवाह के प्रकार के अनुसार आंतरिक प्रवाह या निरंतर बुनियादी प्रवाह के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

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