
गर्मी व बारिश के बीच चिकन पॉक्स के संक्रमण का खतरा अधिक
अररिया(रंजीत ठाकुर): चिकन पॉक्स बेहद संक्रामक बीमारी है। यह एक वायरल बीमारी है। इसके कारण शरीर में फफोले की तरह दाने दिखते हैं। शुरू में दाने चेहरे व छाती पर दिखते हैं। फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं। शरीर में पडने वाला दाना द्रव से भरे होते हैं। इसमें खुजली की समस्या होती है। चेचक का टीका नहीं लगाने वाले को ये विशेष रूप से प्रभावित करता है। अमूमन ये जानलेवा नहीं है। लेकिन ये स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं पैदा करने में सक्षम होता है। उमस भरी गर्मी व बारिश के मौसम में संक्रमण का खतरा अधिक होता है। लिहाजा इससे बचाव को लेकर स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी की गयी है।
कम उम्र के बच्चों को संक्रमण का खतरा अधिक –
डीआईओ डॉ मोईज ने बताया कि चिकन पॉक्स के मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा इससे बचाव, प्रबंधन व उपचार को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों में चिकन पॉक्स के संक्रमण का खतरा अधिक होता है। व्यस्क भी इसका शिकार हो सकते है। इसे लेकर आम लोगों को जागरूक करने सहित सरकारी अस्पतालों में इसके इलाज को लेकर सभी जरूरी इंतजाम सुनिश्चित कराने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि चिकन पॉक्स के मामलों में रोगियों को छह दिनों तो आइसोलेशन में रहना महत्वपूर्ण है। इससे रोग का प्रसार बहुत हद तक सीमित किया जा सकता है।
समय पर चिकित्सकीय परामर्श व इलाज जरूरी-
सदर अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि वैसे तो चिकन पॉक्स हर आयु वर्ग के लोगों केा प्रभावित करने की क्षमता रखता है। लेकिन नवजात व कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के साथ गर्भवती महिलाएं व बुजुर्ग लोगों को संक्रमण का खतरा अधिक होता है। उन्होंने बताया कि चिकन पॉक्स का इलाज आसानी से संभव है। लेकिन इसके लिये जरूरी चिकित्सकीय परामर्श जरूरी है। डॉ राजेश कुमार ने बताया कि चिकन पॉक्स से जुड़ी किसी तरह की समस्या दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करना जरूरी है। इसके अलावा संबंधित एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं से भी संपर्क जरूरी है। ताकि समय पर प्रभावित व्यक्ति तक जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उपलब्ध कराया जा सके।
तीन चरणों में होता है संक्रमण का प्रसार –
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि चिकन पॉक्स पहले चरण में शरीर में चकते की आकार में दिखाई देता है। जो गांठों के रूप में प्रदर्शित हो सकती है। अमूमन ये गुलाबी व लाल रंग का होता है। अगले कुछ दिनों में ये उभार द्रव से भरे छोटे फफोले में तब्दील हो जाता है। तीसरे व अंतिम चरण में ये पपड़ीदार घाव का रूप ले लेता है। जब तक संक्रमित व्यक्ति के सभी धब्बे खत्म नहीं हो जाते हैं। तब तक ये संपर्क में आने वाले किसी भी व्यक्ति को संक्रमित करने में सक्षम होता है। संक्रमित व्यस्कों के गले में खरास, खांसी, थकान, बुखार के अलावा शरीर में दाने विकसित हो सकते हैं। वहीं बच्चों की खाने की आदतों में बदलाव, भूख की कमी, खुजली दर्द, सोने की आदतों में बदलाव, शरीर में दाने व बुखार के साथ नींद में वृद्धि जैसे लक्षण संक्रमण के प्रभाव कराण दिखते हैं।
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