गरीब मज़दूर और निराश्रित खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर
बलिया(संजय कुमार तिवारी): यूपी कड़कड़ाती ठंड और सर्द हवाओं के बीच बलिया में निराश्रित लोगों के लिए बने रैन बसेरे महज शोपीस बनकर रह गए हैं। जमीनी हकीकत यही है कि गरीब मजदूर हो या सड़कों पर भीख मांगने वाले निराश्रित, रेलवे स्टेशन से लेकर चौराहों तक खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं । वहां बने रैन बसेरों में महज़ एक व्यक्ति सोया मिला।जबकि रेलवे स्टेशन के बाहर बड़ी संख्या में निराश्रित लोग खुले आसमान के नीचे सोते पाए गए।
यही हाल चित्तू पांडे चौराहे का भी है ,जहां कुछ दिनों पहले तक रैनबसेरा तो बना था पर अब रैन बसेरा गायब हो गया है। लिहाजा कुछ मजदूर वहां खुले आसमान के नीचे सोते दिखाई दिए। हालाकि रोडवेज पर बने रैन बसेरे के पुरुष रैन बसेरे में तो कुछ लोग सो रहे थे पर महिला रैनबसेरा पूरी तरीके से खाली था। वही गरीब मजदूरों का कहना है कि रैन बसेरे में सोने पर उनसे आई कार्ड मांगा जाता है। साथ ही उन्हें सोने के दौरान परेशान भी किया जाता है।