
अस्पताल में कर्मचारी के सामने “पैसे की चिंता मत करिए, बस इनको ठीक कर दीजिए”
कड़वा सच : कुछ बाते होते है इंसान के जीवन में जो आप हम समझ सकते ऐसा ही एक बात समझने योग जो अभी लोगो के साथ स्थिति देखा जाता जो कड़वा सच है कि अभी के समय में लोगो की जूझना पड़ता और आंखों देखी बात होता कि इंसान का जीवन में ऐसा स्थिति होता है और एक आश्चर्यजनक रीति चल पड़ी है, बुजुर्ग बीमार हुए, एम्बुलेंस बुलाओ, जेब के अनुसार 3 स्टार या 5 स्टार अस्पताल ले जाओ, ICU में भर्ती करो और फिर जैसा जैसा डाक्टर कहता जाए, मानते जाओ।और अस्पताल के हर डाक्टर, कर्मचारी के सामने आप कहते है कि “पैसे की चिंता मत करिए, बस इनको ठीक कर दीजिए”
और डाक्टर एवं अस्पताल कर्मचारी लगे हाथ आपके मेडिकल ज्ञान को भी परख लेते है और फिर आपके भावनात्मक रुख को देखते हुए खेल आरम्भ होता है..
कई तरह की जांचे होने लगती हैं, फिर रोज रोज नई नई दवाइयां दी जाती है, रोग के नए नए नाम बताये जाते हैं और आप सोचते है कि बहुत अच्छा इलाज हो रहा है।
80 साल के बुजुर्ग के हाथों में सुइयां घुसी रहती है, बेचारे करवट तक नही ले पाते। ICU में मरीज के पास कोई रुक नही सकता या बार बार मिल नही सकते। भिन्न नई नई दवाइयों के परीक्षण की प्रयोगशाला बन जाता है 80 वर्षीय शरीर।
आप ये सब क्या कर रहे है एक शरीर के साथ ?
शरीर, आत्मा, मृत्युलोक, परलोक की अवधारणा बताने वाले धर्म की मान्यता है कि ज्ञात मृत्यु सदा सुखद परिस्थिति में होने, लाने का प्रयत्न करना चाहिए।
इसलिए वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्ग अंतिम अवस्था मे घर में हैं तो जिन लोगो को वो अंतिम समय में देखना चाहते हैं,अपना वंश, अपना परिवार वो सब आसपास रहते हैं।
बुजुर्ग की कुछ इच्छा है खाने की तो तुरन्त उनको दिया जाता है, भले ही वो एक कौर से अधिक नही खा पाएं। लेकिन मन की इच्छा पूरी होना आवश्यक है, आत्मा के शरीर छोड़ने से पहले। मन की अंतिम अवस्था शांत, तृप्त होगी तो अदृश्य परलोक में शांति रहेगी, बेचैनी नहीं।
अस्पताल के ICU में क्या ये संभव होता है?अस्पताल में कष्टदायक, सुइयां घुसे शरीर से क्या आत्मा प्रसन्न होकर निकलेगी?
क्या अस्पताल के icu में बुजुर्ग की हर इच्छा पूरी होती है?
रोज नई नई दवाइयों का प्रयोग, कष्टदायक यांत्रिक उपचार, मनहूस जैसे दिनभर दिखते अपरिचित चेहरों के बीच बुजुर्ग के शरीर को बचाइए! यदि आप थोड़ा सा भी उनके प्रति संवेदनशील हो , तो बुजुर्ग को देवलोक गमन का शरीर मानकर सेवा करिये! सफेद कोट वालों के हाथों में चूहा बनाकर मत छोड़िए। अगर सेवा नहीं होती तो, अच्छी नर्स को घर मे रखिये, घर में सभी सुविधाएं देने का प्रयत्न कीजिये।विचार अवश्य करें..!साभार