बंदी की मौत के बाद आक्रोशित लोगों ने सड़क जाम कर किया हंगामा

जमुई, मो.अंजुम आलम  हत्या मामले में करीब डेढ़ वर्ष से जमुई जेल में बंद टायफाइड से ग्रसित एक बंदी की इलाज के दौरान बुधवार की शाम सदर अस्पताल स्थित कैदी वार्ड में अचानक तबियत बिगड़ गई। उंसके बाद डाक्टर मृत्युंजय पंडित द्वारा जांच के बाद बंदी को मृत घोषित कर दिया। मृतक बंदी की पहचान सोनो थाना क्षेत्र के दुबेडीह गांव निवासी आयोध्या यादव के पुत्र राधेश्याम उर्फ राधे यादव के रूप में हुई है। वहीं बंदी की मौत के बाद धीरे धीरे लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और लोग आक्रोशित हो गए। इस दौरान लोगों ने सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. मृत्युंजय पंडित की घेराबंदी कर जमकर हंगामा करने लगे।

धक्कामुक्की भी की गई। हालांकि फिर बीच बचाव कर मामले को शांत कराया गया। उंसके बाद जब कई घंटों तक जेल प्रशासन नहीं पहुंचे तो फिर लोग आक्रोशित होकर बंदी के शव को सदर अस्पताल के मुख्य द्वार के आगे सड़क पर रखकर जाम कर दिया। साथ ही सदर अस्पताल के मुख्य द्वार को बंद कर हंगामा करने लगे। इस दौरान लोगों ने जेल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और जेल प्रशासन पर मनमानी व लापरवाही का आरोप लगाया है।वहीं सूचना के बाद दलबल के साथ टाउन थानाध्यक्ष अरुण कुमार पहुंचे और आक्रोशित लोगों को समझा बुझाकर कड़ी मोशक्कत के बाद जाम को हटाया गया।

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मृतक के पुत्र अभिषेक यादव ने बताया कि हत्या के एक मामले में उनके पिता राधेश्याम उर्फ राधे यादव डेढ़ वर्ष से जेल में बंद थे। 10 दिन पहले पिता की तबियत बिगड़ने की जानकारी उन्हें मिली थी। जेल प्रशासन द्वारा इलाज नहीं कराया गया। जब तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई तो जेल के सुरक्षा कर्मियों द्वारा मंगलवार को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया था, यहां सीबीसी व अन्य प्रकार की जांच कराई गई थी जांच में टायफाइड पाजिटिव और प्लेटलेट 16,000 बताया गया था।।।फिर आज बुधवार को भी जांच कराया गया तो प्लेटलेट 13000 बताया गया था। डाक्टर द्वारा रेफर भी किया गया था।

जेल प्रशासन द्वारा पटना ले जाने की बात कही गई थी। लेकिन पटना ले जाने में विलंब किया गया जिस वजह से इलाज के दौरान अचानक उनके पिता की तबियत बिगड़ी और मौत हो गई। उन्होंने जेल प्रशासन पर लापरवाही का भी आरोप लगाया है। उनके पिता को 10 दिन पहले ही इलाज के लिए लाना चाहिए था लेकिन जब तबियत ज्यादा बिगड़ गई तो उनके पिता को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया। आगे उन्होंने बताया कि जब उनके पिता की मौत हो गई तो भी चार घंटे बाद भी जेल प्रशासन देखने के लिए भी नहीं पहुंचे।

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