
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि
हाजीपुर, (खौफ 24) भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता और कविता, कहानी, संगीत, नाटक, निबंध जैसी साहित्यिक कृतियों के रचयिता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि समारोह आज स्वर्गीय देवेन्द्र सिंह सामाजिक संस्थान के द्वारा हाजीपुर शहर के टैगोर किड्स एंड हाई स्कूल में मनाया गया। इस कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी उपस्थिति लोगों, शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं बच्चों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि करते हुये उन्हें नमन किया। स्कूल के निदेशक एवं सह सार्क जर्नलिस्ट फोरम बिहार के अध्यक्ष देश-दुनिया में चर्चित मानवाधिकार पत्रकारिता के संवाहक डॉ शशि भूषण कुमार ने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर एक बहुमुखी प्रतिभा थे, जिन्होंने साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगा जब हम उनके विचारों एवं कृतियों को आत्मसात कर अपनी जीवन में उतारेंगे। आगे उन्होंने अपने वक्त में कहा कि उनकी कृतियों में एक पर एक कविता, उपन्यास, लघु कथाएँ, नाटक, निबंध, और चित्र शामिल हैं। 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार उन्हें “गीतांजलि” के लिए मिला, जो कविताओं का एक संग्रह है। उनके प्रसिद्ध उपन्यासों में “घरे बाइरे”, “गोरा”, और “चतुरंगा” शामिल हैं। उनकी लघु कथाएँ “पोस्टमास्टर”, “काबुलीवाला”, और “क्षुधित पाषाण” प्रसिद्ध हैं।
टैगोर जी ने कई नाटक लिखे, जिनमें “वि`सर्जन”, “राजा”, और “श्यामा” शामिल हैं। उनके निबंधों में शिक्षा, समाज, और संस्कृति पर उनके विचार व्यक्त किए गए हैं। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 2,000 से अधिक गीतों की रचना की, जिन्हें रवींद्र संगीत के नाम से जाना जाता है।उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी संगीत का मिश्रण किया।”जन गण मन” भारत का राष्ट्रगान, और आमार सोनार बांग्ला बांग्लादेश का राष्ट्रगान, गुरुदेव टैगोर द्वारा ही रचित हैं। स्कूल की प्राचार्या पिंकी कुमारी ने कहा कि टैगोर जी ने 60 वर्ष की आयु में चित्रकला शुरू की और 2,300 से अधिक कलाकृतियाँ बनाईं।
उनकी चित्रकला शैली में गहरी रेखाएँ और अमूर्त रूप शामिल हैं।इतना ही नहीं स्कूल की शिक्षिका रूबी कुमारी ने कहा कि गुरुदेव ने शांतिनिकेतन में विश्व-भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की, जो एक अनूठी शिक्षा प्रणाली के लिए जाना जाता है।उन्होंने एक समग्र शिक्षा प्रणाली की वकालत की, जो कला, संस्कृति, और प्रकृति को महत्व देती है।