
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को ज्ञापन भेजा : संस्थापिका शैली
यूपी, (खौफ 24) आज महिला प्रशिक्षण संस्थान द्वारा जिलाधिकारी कार्यालय सिटी मजिस्ट्रेट गाजियाबाद द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी को ज्ञापन भेजा गया। महिला प्रशिक्षण संस्थान की संस्थापिका शैली जी ने बताया की गाजियाबाद न्यायालयों मे पीड़ीत महिलाओं को हर बार निराश भेज केवल तारिख दे, मूर्ख बना, बिना किसी ठोस एवं ऊचित कार्यवाही के लोटा दिया जाता है ओर विपक्ष पुरूषो से पैसा ले, उनके अनुसार मनचाहा न्यायिक कार्य करने के विरुध एवं न्याय प्रणाली के विरुध महिला प्रशिक्षण संस्थान द्वारा सुप्रिम कोर्ट एवं माननिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को ज्ञापन भेजा गया है ।

सेवा में
भारत का सर्वोच्च न्यायालय / प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी
नई दिल्ली, भारत
विषय : गाजियाबाद न्यायालयों में महिलाओ को नहीं मिल रहा इन्साफ
आदरणीय महोदय
गाजियाबाद के लगभग प्रत्येक न्यायालय में महिलाओ को न्याय नहीं मिल रहा, यहां महिलाओ के द्वारा दी गई पत्रावलियों को केवल तारीख या विपक्षी पुरुष पक्ष से रिश्वत लेकर उनके अनुसार कार्य किया जा रहा है ,यदि कोई पीड़िता केस लेकर आती है तो उसके प्रार्थना पत्र को अनदेखा कर सारा कार्य विपक्षी,आरोपी, पुरुष प्रधान ,उसके ससुराल ,पति के द्वारा की गई रिश्वत के अनुसार विपक्षियों के पक्ष में लिख दिया जाता है ,आप गाजियाबाद के CJM कोर्ट का हाल देख सकते है यहां तो स्थिति बद से बदत्तर है ,यहां के प्रशासनिक सरकारी कर्मचारि जैसे रीडर ,पेशकार आदि ऊपर से लेकर निचे तक सब बिके हुए है ,यहां जब महिलाये पत्रावली देती है,विपक्षियों के विरुद्ध जब कोर्ट द्वारा NBW जारी किया जाता है तो प्रशासनिकआज महिला प्रशिक्षण संस्थान द्वारा जिलाधिकारी कार्यालय सिटी मजिस्ट्रेट, गाजियाबाद द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी को ज्ञापन भेजा गया |
महिला प्रशिक्षण संस्थान की संस्थापिका शैली जी ने बताया की गाजियाबाद न्यायालयों मे पीड़ीत महिलाओं को हर बार निराश भेज केवल तारिख दे, मूर्ख बना, बिना किसी ठोस एवं ऊचित कार्यवाही के लोटा दिया जाता है ओर विपक्ष पुरूषो से पैसा ले, उनके अनुसार मनचाहा न्यायिक कार्य करने के विरुध एवं न्याय प्रणाली के विरुध महिला प्रशिक्षण संस्थान द्वारा सुप्रिम कोर्ट एवं माननिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को ज्ञापन भेजा गया है |
सेवा में
भारत का सर्वोच्च न्यायालय / प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी
नई दिल्ली, भारत
विषय : गाजियाबाद न्यायालयों में महिलाओ को नहीं मिल रहा इन्साफ |
आदरणीय महोदय
गाजियाबाद के लगभग प्रत्येक न्यायालय में महिलाओ को न्याय नहीं मिल रहा, यहां महिलाओ के द्वारा दी गई पत्रावलियों को केवल तारीख या विपक्षी पुरुष पक्ष से रिश्वत लेकर उनके अनुसार कार्य किया जा रहा है ,यदि कोई पीड़िता केस लेकर आती है तो उसके प्रार्थना पत्र को अनदेखा कर सारा कार्य विपक्षी,आरोपी, पुरुष प्रधान ,उसके ससुराल ,पति के द्वारा की गई रिश्वत के अनुसार विपक्षियों के पक्ष में लिख दिया जाता है ,आप गाजियाबाद के CJM कोर्ट का हाल देख सकते है यहां तो स्थिति बद से बदत्तर है ,यहां के प्रशासनिक सरकारी कर्मचारि जैसे रीडर ,पेशकार आदि ऊपर से लेकर निचे तक सब बिके हुए है ,यहां जब महिलाये पत्रावली देती है,विपक्षियों के विरुद्ध जब कोर्ट द्वारा NBW जारी किया जाता है तो प्रशासनिक कर्मचारि विपक्षियों से रिश्वत लेकर NBW नहीं बनाते,जैसे तैसे पीड़िता के द्वारा जब बार बार शिकायत की जाती है तब कही जाकर NBW जारी किये जाते है ,तब भी विपक्षी को गिरफ्तार नहीं किया जाता ,अधिकतम दिखाया जाता है की पुलिस विपक्षी के घर पहुंची वह घर पर मौजूद नहीं था ,कोर्ट समन के दवाब होने पर जब विपक्षी कोर्ट आना चालू करता है तो,पीड़ित महिला को अनदेखा कर उसकी शिकायत को दबाते हुए विपक्षी से रिश्वत ले कोर्ट कर्मचारियों द्वारा शिकायत प्रार्थना पत्र मे दर्ज अन्य सभी आरोपियों के नाम हटा,केस केवल एक विपक्षी के नाम कर, उसे भी बाइज्जत बरी कर दिया जाता है।
जब गाजियाबाद न्यायालयों में सभी काम रिश्वत और पैसे के दम पर होंगे तो पीड़ित महिला कहाँ गुहार लगाएगी ,पीड़ित महिला जब पुलिस के पास शिकायत लेकर जाती है तो उसका मामला दर्ज नहीं किया जाता ,मामला दर्ज हो जाए तो न्यायालयों का यह रूख जो केवल एक तरफा,विपक्षी पुरुष वर्ग या विपक्षी ससुरालियों के पक्ष में जाएगा तो महिला को इन्साफ कौन देगा। यही हाल CJM कोर्ट के साथ गाजियाबाद के अन्य न्यायालयों का भी है जहां महिलाओ को मुर्ख बना केवल तारीख देकर लौटा दिया जाता है और फैंसला विपक्षी पुरुष प्रधान के हक़ में लिख दिया जाता है ,प्रत्येक महिला अपना दुःख और पीड़ा लेकर हाईकोर्ट तो नहीं जा सकती,महिलाओ के सालो बर्बाद होते है, कोर्ट से ना महिलाओ और बच्चो का खर्च बंधता है कुछ खर्च बंध भी जाए तो विपक्षी वह देना बंद कर देता है या देता नही, बच्चे पीड़िता के पास दे,वह मजे से आराम की जिंदगी जीता है ,विपक्षी पुरुष कोर्ट में ऐसे हँसते हुए आता है जैसे पार्क में घूम रहा हो और हँसते हुए ही लौट जाता है
जैसे उसे कानून का कोई डर ही ना हो ,और डर होगा भी कैसे यहां न्यायालयों में सब इन्साफ बिकता जो है। महिलाओ के बहुत से प्रार्थना पत्र जनसुनवाई-समाधान के पास भी भेजे गए पर उन केसो में भी कोई सुधार नहीं मिल पाया और पीड़िता ओर बच्चे दुःख से भरा जीवन जीने को मजबूर है ,पीड़ित महिला के पास कोर्ट ही आखरी विकल्प बचता है जब वहां भी उनकी शिकायतों को रिश्वत लेकर दबा दिया जाएगा तो पीड़ित महिला अपनी शिकायत कहाँ लेकर जाए। आपसे निवेदन है की गाजियाबाद न्यायालयों में चल रही रिश्वतखोरी को बंद कर पीड़ित महिला द्वारा दिए गए शिकायत पत्र पर निष्पक्ष जांच के साथ निष्पक्ष कार्यवाही कर न्यायालयों द्वारा जल्द से जल्द फैंसले लिए जाए, ताकि पीड़ित महिलाओ को उचित ओर समय पर इन्साफ मिल सके, क्यूंकि आपको पता है देश की न्यायप्रणाली बहुत महंगी होने के साथ बहुत धीमी भी है ऐसे में महिलाये आपसे आखिरी उम्मीद लगाए रखती है की उन्हें न्यायालय में इन्साफ मिलेगा जो की नही मिल पाता शैली
संस्थापिका ,महिला प्रशिक्षण संस्थान एवं समस्त नारी शक्ति
इस कार्य मे मुख्य रूप से निशा तोमर ,पत्रकार सुनिता उपाध्याय, गीता त्यागी,गीता श्री वासत्व ,रेखा शर्मा,पायल खत्री ,आरती ,प्रिया,प्रिती मिश्रा, अनन्त शर्मा,विष्णु शर्मा,नैतिक सिंघल,अभिषेक यादव,सुमित गोर शामिल रहे |
कर्मचारि विपक्षियों से रिश्वत लेकर NBW नहीं बनाते,जैसे तैसे पीड़िता के द्वारा जब बार बार शिकायत की जाती है तब कही जाकर NBW जारी किये जाते है ,तब भी विपक्षी को गिरफ्तार नहीं किया जाता ,अधिकतम दिखाया जाता है की पुलिस विपक्षी के घर पहुंची वह घर पर मौजूद नहीं था ,कोर्ट समन के दवाब होने पर जब विपक्षी कोर्ट आना चालू करता है तो,पीड़ित महिला को अनदेखा कर उसकी शिकायत को दबाते हुए विपक्षी से रिश्वत ले कोर्ट कर्मचारियों द्वारा शिकायत प्रार्थना पत्र मे दर्ज अन्य सभी आरोपियों के नाम हटा,केस केवल एक विपक्षी के नाम कर, उसे भी बाइज्जत बरी कर दिया जाता है।
जब गाजियाबाद न्यायालयों में सभी काम रिश्वत और पैसे के दम पर होंगे तो पीड़ित महिला कहाँ गुहार लगाएगी ,पीड़ित महिला जब पुलिस के पास शिकायत लेकर जाती है तो उसका मामला दर्ज नहीं किया जाता ,मामला दर्ज हो जाए तो न्यायालयों का यह रूख जो केवल एक तरफा,विपक्षी पुरुष वर्ग या विपक्षी ससुरालियों के पक्ष में जाएगा तो महिला को इन्साफ कौन देगा।
यही हाल CJM कोर्ट के साथ गाजियाबाद के अन्य न्यायालयों का भी है जहां महिलाओ को मुर्ख बना केवल तारीख देकर लौटा दिया जाता है और फैंसला विपक्षी पुरुष प्रधान के हक़ में लिख दिया जाता है ,प्रत्येक महिला अपना दुःख और पीड़ा लेकर हाईकोर्ट तो नहीं जा सकती,महिलाओ के सालो बर्बाद होते है, कोर्ट से ना महिलाओ और बच्चो का खर्च बंधता है कुछ खर्च बंध भी जाए तो विपक्षी वह देना बंद कर देता है या देता नही, बच्चे पीड़िता के पास दे,वह मजे से आराम की जिंदगी जीता है ,विपक्षी पुरुष कोर्ट में ऐसे हँसते हुए आता है जैसे पार्क में घूम रहा हो और हँसते हुए ही लौट जाता है ,जैसे उसे कानून का कोई डर ही ना हो ,और डर होगा भी कैसे यहां न्यायालयों में सब इन्साफ बिकता जो है। महिलाओ के बहुत से प्रार्थना पत्र जनसुनवाई-समाधान के पास भी भेजे गए पर उन केसो में भी कोई सुधार नहीं मिल पाया और पीड़िता ओर बच्चे दुःख से भरा जीवन जीने को मजबूर है ,पीड़ित महिला के पास कोर्ट ही आखरी विकल्प बचता है जब वहां भी उनकी शिकायतों को रिश्वत लेकर दबा दिया जाएगा तो पीड़ित महिला अपनी शिकायत कहाँ लेकर जाए।
आपसे निवेदन है की गाजियाबाद न्यायालयों में चल रही रिश्वतखोरी को बंद कर पीड़ित महिला द्वारा दिए गए शिकायत पत्र पर निष्पक्ष जांच के साथ निष्पक्ष कार्यवाही कर न्यायालयों द्वारा जल्द से जल्द फैंसले लिए जाए, ताकि पीड़ित महिलाओ को उचित ओर समय पर इन्साफ मिल सके, क्यूंकि आपको पता है देश की न्यायप्रणाली बहुत महंगी होने के साथ बहुत धीमी भी है ऐसे में महिलाये आपसे आखिरी उम्मीद लगाए रखती है की उन्हें न्यायालय में इन्साफ मिलेगा जो की नही मिल पाता शैली संस्थापिका,महिला प्रशिक्षण संस्थान एवं समस्त नारी शक्ति इस कार्य मे मुख्य रूप से निशा तोमर ,पत्रकार सुनिता उपाध्याय, गीता त्यागी,गीता श्री वासत्व ,रेखा शर्मा,पायल खत्री ,आरती ,प्रिया,प्रिती मिश्रा, अनन्त शर्मा,विष्णु शर्मा,नैतिक सिंघल,अभिषेक यादव,सुमित गोर शामिल रहे |