चार वर्ष से चले आ रहे प्रेम और दो दृष्टिबाधितों ने लिए सात फेरे

गया(अरुणजय प्रजापति): अमूमन लड़का-लड़की के बीच मोहब्बत की कहानी एक दूसरे की सुंदरता पर मोहित होने बाद ही शुरू होती है। सुंदरता चाहे काया की हो या फिर उसके गुण की। लेकिन गया जिले के शेरघाटी कोर्ट परिसर के मंदिर में ठीक उलट एक घटना हुई है। दो दृष्टिबाधित युवक-युवती के बीच 4 वर्ष पहले स्कूल में पढ़ाई के दौरान दोस्ती होती है। और फिर वह दोस्ती प्रेम का रूप ले लेता है। यही नहीं दोनों के बीच बीते चार साल से चला आ रहा प्रेम एक दिन विवाह के बंधन भी बंंध जाता है। ऐसा नहीं है कि इस प्रेम विवाह में कोई दीवार बन कर नहीं उभरा था। यहां भी प्रेम के बीच लड़का पक्ष के लोगों ने दीवार खड़ी की। शादी का मुखर होकर विरोध किया लेकिन उस दीवार की अनदेखी करते हुए युवक ने युवती मंदिर में लड़की पक्ष के लोगों के बीच शादी रचा ली। दृष्टबाधित युवक-युवती की शादी इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। युवक-युवती इमामगंज प्रखंड के दो अलग-अलग गांव के हैं।


दृष्टिबाधित कौशल्या कुमारी का कहना है कि चार वर्ष पूर्व भलुहारा कस्तूरबा स्कूल में ब्रेल लिपि से पढ़ाई करती थी। उसी दौरान नीरज से उसकी मुलाकात हुई। नीरज भी वहीं पढ़ाई करता था। धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई। इस बीच नीरज दिल्ली कमाने चला गया। वहां उसे किसी प्राइवेट फर्म में काम मिल गया। वह वहीं काम करने लगा। लेकिन दोनों के बीच प्यार में कोई कमी नहीं आई। इसके बाद युवक-युवती ने अपने-अपने घरवालों को राजी करना शुरू किया तो नीरज के घरवालों ने नीरज के दृष्टिबाधिति होने की वजह से शादी के लिए तैयार नहीं हुए। वे विरोध करने लगे। लेकिन नीरज नहीं माना। इस बीच कौशल्या अपनी अभिभावकों को शादी के लिए तैयार कर लिया। और सोमवार को दोनों शेरघाटी कोर्ट में पहुंचे और मंदिर में शादी रचा ली। शादी के वक्त कौशल्या की ओर से उसके घरवाले मौके पर मौजूद थे।नीरज का कहना है कि वह इतना कमा लेता है कि एक परिवार का खर्च चला सके। उसका कहना है कि वह अपनी दुल्हिनया को दिल्ली ले जाएगा। वहीं कौशल्या का कहना है कि वह इस शादी से काफी खुश है। यह बात कहते हुए सामान्य लड़कियों की तरह वह भी झेंपती भी है और मुस्कुराती भी है।

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