पहली बार हुआ एम्स मेंकिडनी ट्रांसप्लांट सफल

फुलवारीशरीफ, अजीत पटना एम्स ने किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा की शुरुआत से एक नया मिसाल कायम करते हुए बिहार का दूसरा अस्पताल बनने का गौरव प्राप्त कर लिया है जहाज किफायती दर पर किडनी ट्रांसप्लांट होने लगा है. इससे पहले बिहार में आईजीआईएमएस में ही यह सुविधा थी. पटना एम्स में सीतामढ़ी निवासी 56 साल की मां ने 34 साल के बेटे को एवं जहानाबाद निवासी 53 साल के पिता ने 19 साल बेटी को किडनी देकर जान बचाई है। 19 साल की या लड़की मेडिकल स्टूडेंट है. किडनी डोनर और दोनों मरिज पूरी तरह स्वस्थ हैं जिन्हें अभी निगरानी में 14 दिनों के लिए एम्स में ही रखा गया है।

एम्स में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी देते हुए पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर सौरव वार्ष्णेय ने बताया कि मैरिज एवं किडनी डोनर दोनों पूरी तरह सुरक्षित हैं. एम्स में कििडनी ट्रांसप्लांट पूरी तरह सफल और सुरक्षित रूप से हो गया. उन्होंने बताया कि अब तक दो मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है और 6 नए मरीज अभी कतार में है जिनका भी बारी-बारी से किडनी ट्रांसप्लांट कर लिया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि हम एम्स को इस स्तर का सुविधा युक्त अस्पताल बनाने जा रहे हैं जहां सप्ताह में काम से कम दो मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया जा सके. उन्होंने कहा कि फिलहाल हम महीना में एक या दो किडनी ट्रांसप्लांट करेंगे उसके बाद धीरे-धीरे हम सप्ताह में दो किडनी ट्रांसप्लांट करेंगें।

एम्स निदेशक ने कहा कि आहार विहार में परिवर्तन फास्ट फूड शराब नशा एवं अन्य तरह के खानपान के चलते एक ऐसा स्टेज आ जाता है जहां लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट करने जैसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ता है. उन्होंने लोगों से आहार विहार में मैं व्यापक परिवर्तन नशा एवं फास्ट फूड जैसी चीजों से दूर रहने की सलाह दी ताकि ऐसी बीमारी का सामना न करना पड़े. उन्होंने बताया कि अगर निज़ी हॉस्पिटल में 10 लाख किडनी ट्रांसप्लांट में खर्च आता है तो हमारे यहां तीन से 3 से साढ़े 3 लाख में यह सुविधा उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट की पूरी यूनिट में सबसे अधिक नेफ्रोलॉजी एवं एनेस्थीसिया के टीम का योगदान रहता है हालांकि पूरी टीम को उन्होंने शुभकामनाएं दी. निदेशक ने बताया की दो मरीजों का सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लानट के लिए चंडीगढ़ के पीजीआई से सहयोग लिया गया एवं पटना एम्स में किडनी यूनिट में शामिल 13 सदस्यों ने सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया है.

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पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक ने बताया कि 20 जनवरी और 21 जनवरी को दोनों मरीजों का सफलता पूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. इसके लिए पटना एम्स के किडनी यूनिट विभाग ने काफी बढ़िया काम किया है जिसमें डॉक्टर अमरेश कृष्णा, डॉक्टर अमरेश गुंजन, डॉक्टर उमेश भदानी, डॉक्टर अजीत सहित एक दर्जन से अधिक डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ्स ने मिलकर इसे सफलतापूर्वक कर दिखाया है.उन्होंने बताया कि अन्य जगहों पर किडनी ट्रांसप्लांट में जितने खर्च लगते हैं, उसके एक तिहाई खर्च पर पटना एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट किया जाएगा इसके अलावा भारत सरकार और राज्य सरकार से मिलने वाली सरकारी राशि का लाभ भी उन्हें प्राप्त होगा।

एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर सौरव वार्ष्णेय ने बताया कि इमरजेंसी मरीजों को वेंटिलेटर युक्त बेड नहीं मिलने के समस्या का समाधान अगले 6 महीने में हो जाएगा. उन्होंने कहा कि हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हमारे यहां से कोई मरीज ना लौटे लेकिन यहां मात्र 120 वेंटीलेटर युक्त आईसियु बेड होने के चलते हैं हमें अभी परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि 250 वेंटीलेटर युक्त आईसीयु बेड वाला क्रिटिकल केयर यूनिट अस्पताल अगले छ माह में बनकर तैयार हो जाएगा इसका निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।

इस मौके पर डॉक्टर अमरेश एच ओ डी नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट ने बताया कि आम लोगों को अपने रहन-सहन में और लाइफ स्टाइल में बदलाव लाकर किडनी जैसे बीमारी से बचा जा सकता है. उन्होंने बताया कि 60 से 70 वर्ष के लोग जो रोग मुक्त हैं, उनका किडनी ट्रांसप्लांट किसी भी व्यक्ति में किया जा सकता है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि मंदबुद्धि या 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों से किडनी ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता है. किडनी ट्रांसप्लांट करने और डोनेट करने वाले लोगों के शुगर, ब्लड प्रेशर को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है।

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