
भगवान जगन्नाथ की नगर भ्रमण किया गया
पटना सिटी, (खौफ 24) जल्ला हनुमान मंदिरों से आज शोभायात्रा निकाली जो आरोवी पुल होकर स्टेशन होकर गुरु गोविंद सिंह लिंक पथ होकर फिर पुनः जल्ला हनुमान मंदिर वापस आयेगे भगवान रथयात्रा के मार्ग पर नगर संकीर्तन किया गया और जिसमें सैकड़ों भक्त श्रद्धालु शामिल हुए
भगवान जगन्नाथ की कहानी, जिसे जगन्नाथ पुरी के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक कथा है। यह कथा भगवान विष्णु के एक अवतार, जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा के इर्द-गिर्द घूमती है।
मुख्य बातें: राजा इंद्रद्युम्न और भगवान जगन्नाथ: राजा इंद्रद्युम्न, भगवान कृष्ण के एक महान भक्त थे, जिन्हें भगवान कृष्ण ने सपने में दर्शन दिए और उन्हें पुरी में एक मंदिर बनवाने का आदेश दिया। नील माधव : भगवान कृष्ण ने राजा को बताया कि उनकी अस्थियां एक पेड़ के तने में हैं, जो समुद्र में बहकर पुरी आ रही है। राजा ने मंदिर बनवाया और उस लकड़ी के तने से तीन मूर्तियां बनवाईं – जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा। विश्वकर्मा और अधूरी मूर्तियां:भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं एक बूढ़े कारीगर के रूप में आकर मूर्तियां बनाने का वचन दिया, लेकिन शर्त रखी कि जब तक मूर्तियां पूरी न हो जाएं, कोई उन्हें देखेगा नहीं। ग्यारह दिन बाद, जब राजा ने दरवाजा खोला, तो मूर्तियां अधूरी थीं और विश्वकर्मा जा चुके थे। अधूरी मूर्तियों की पूजा:राजा ने अधूरी मूर्तियों को ही मंदिर में स्थापित किया और आज भी जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की इन्हीं अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती है।
रथ यात्रा:जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी एक प्रसिद्ध घटना रथ यात्रा है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां रथों में रखकर नगर भ्रमण पर निकाली जाती हैं। कथा का सार: भगवान जगन्नाथ की कहानी भक्ति, समर्पण, और भगवान के प्रति अटूट विश्वास का प्रतीक है। यह कथा बताती है कि भगवान अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन देते हैं और उनकी इच्छा पूरी करते हैं।अन्य महत्वपूर्ण बातें:जगन्नाथ शब्द का अर्थ है “ब्रह्मांड के स्वामी” जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा में स्थित है और भारत के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है।जगन्नाथ मंदिर का इतिहास 12वीं शताब्दी से जुड़ा है।साभार