छोटी पटन देवी मंदिर में स्थापित पिंडी ही मूल शक्ति पीठ स्थल है?

पटना सिटी, (खौफ 24) छोटी पटन देवी मंदिर में स्थित ” पिंडी ” ही आदि अनादि मूल शक्ति पीठ स्थल प्राचीन मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थित पिंडी स्वरूप में विराजमान देवी ही मूल शक्तिपीठ स्थल पौराणिक आख्यानों ऐतिहासिक अभिलेखों तथ्यों से यह स्पष्ट है कि सिद्ध शक्ति पीठ स्थल छोटी पटन देवी में ही दक्षिण जंघा स्थित है और यही अनादि मूल शक्ति पीठ स्थल है बड़ी पटनदेवी या तथाकथित गरहां पटनदेवी नाम से अभिकथित मंदिर मात्र देवी मंदिर है शक्ति पीठ स्थल नही ये बातें धर्म संसद में उपस्थित धर्माचार्यों और इतिहासविदों ने कहा 1564 ईस्वी से 1594 ईस्वी पटना अजीमाबाद नामक पुस्तक में भी अति प्राचीन छोटी पटन देवी का ही वर्णन है

इसमें बड़ी पटन देवी को हाल ही का बना मंदिर बताया गया है 1795 ई के जजमेंट से यह स्पष्ट है कि उस समय छोटी पटन देवी को केबल पटन देवी के नाम से जाना जाता था मुगल काल में छोटी आबादी वाले मुहल्ले को खुर्द और बड़ी आबादी वाले मुहल्ले को कलां बोले जाने के कारण यहां की देवी को छोटी या बड़ी कहा जाने लगा यहां छोटी बड़ी देवी का नाम नहीं बल्कि मुहल्ले की आबादी पर आधारित नाम मात्र है 1811 ई में फ्रांसिस बुकनन ने भी अपनी किताब में लिखा है बड़ी पटन देवी मंदिर के नाम से जाना जाने वाला मंदिर हाल ही का बना पाया जबकि छोटी पटन देवी को प्राचीन बताया आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में भी वर्तमान छोटी पटन देवी को ही प्राचीन और बड़ी पटन देवी मंदिर को बाद का बना बताया है प्राचीन ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर IJC RTO द्वारा प्रकाशित दस्तावेजी पुस्तक में यह स्पष्ट रूप से माना गया हैं कि जिस मंदिर का जीर्णोद्धार राजा मान सिंह द्वारा कराया गया था

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वही मंदिर एक मात्र शक्ति पीठ स्थल के रूप में सर्व मान्य है बिहार के अन्य शक्ति पीठों से धर्म संसद में उपस्थित पुजारियों और प्रतिनिधियों ने भी प्राचीन साक्ष्यों और धर्म ग्रंथों के प्रमाण और दस्तावेजों के अध्ययन कर यह स्पष्ट किया कि छोटी पटन देवी मंदिर में स्थापित पिंडी ही मूल शक्ति पीठ स्थल है प्राप्त अभिलेखों से पता चलता है कि वर्तमान छोटी पटन देवी मंदिर सोलहवीं , ग्यारहवीं , नवनी छठी और पांचवी शताब्दी में भी विद्यमान था धर्म संसद में बक्सर से जगत गुरु धर्मेंद्र स्वामी, प्रयाग राज , आमी मुंडेश्वरी थाने तारा चंडी और अन्य शक्ति पीठों के प्रतिनिधियों और गणमान्य समाज सेवियों ने भाग लिया

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