
थानाध्यक्ष समेत 6 पुलिसकर्मी सस्पेंड, जानिए क्या हैं मामला
फुलवारीशरीफ, अजीत पटना के सीनियर एसपी ने फुलवरी शरीफ के बरहामपुर में रहने वाले सुरेंद्र कुमार के बेटे सुशील कुमार के अपहरण में पकड़े गए उसके फुफेरे भाई पटना के राजीव नगर के नेपाली नगर में रहने वाले जितेश कुमार की पुलिस कस्टडी में हुई पिटाई से मौत मामले में फुलवाऱी शरीफ थाना अध्यक्ष सफीर आलम समेत छः पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.एसएसपी राजीव मिश्रा ने फुलवारी शरीफ थानेदार शफीर आलम सहित छह पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया. जिन पुलिसकर्मियों के खिलाफ करवाई की गई है उनमे सफीर आलम थानेदार, पी एस आई रोहित रंजन,ए एस आई फ़िरोज़ अंसारी,सिपाही अर्जुन झा,जाहिद मुकेश राय शामिल हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की गई।
पटना में अपहरण के आरोप में पकड़े गए युवक की पिटाई के मामले में बड़ा करवाई किया गया है. वहीं बता दें की की जिस अपहरण कांड में जितेश की पुलिस स्टडी में हुई पिटाई के बाद उसकी मौत हो गई और पुलिस ने इतना बड़ा करवाई किया है. अभी तक सुशील के अपहरण के बारे में कुछ भी अता पता नहीं लगा पाई है. आखिर सुशील कहाँ गया अगर उसकी हत्या हो गई तो उसकी लाश कहाँ मिली. यह बड़ा सवाल अभी तक दोनों परिवार के लोगों के बीच है.अपने बेटे जितेश की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के बाद पटना पुलिस के कई अफसरों और अन्य पुलिसकर्मियों पर करवाई के मामले में जब उसकी मां राजामणि देवी से बात की गए तो उन्होंने रोते हुऎ कहा की उनका बेटा नहीं रहा. उनके बेटे की मौत के जिम्मेदार पुलिस वालों को खिलाफ सख्त करवाई होनी चाहीए. इसके साथ ही उन्होंने कहा की उनका भतीजा सुशील का क्या हुआ पता नहीं चला अभी तक पुलिस क्या कर रही है. उन्होंने कहा की उनका बेटा अपने फूफारे भाई सुशील के साथ कोई गलत काम नहीं कर सकता था. उन्होंने साफ कहा की उनका बेटा उनके अपने भाई के बेटे के अपहरण में शामिल नहीं रहा है.पुलिस के खिलाफ जो करवाई हुई है वह संतोष जनक नहीं है।
जानिए क्या है पुरा मामला-
फुलवारी शरीफ थाना पुलिस ने जनवरी माह में गायब हुए युवक के मामले में पकड़े गए अभ्युक्ति को पूछताछ के लिए कड़ा रुख अख्तियार किया जिससे उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई. उसके बाद उसे इलाज के लिए पहले स्वास्थ्य केंद्र ले जाएगा जहां से बेहतर इलाज के लिए एम्स अस्पताल में पुलिस ने भर्ती कराया. इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई घटना के बाद मृतक के परिवार वालों ने फुलवारी शरीफ थाना पुलिस पर पूछताछ के दौरान टॉर्चर करने और बुरी तरह मारपीट कर उसकी हत्या करने का आरोप लगाया .इस घटना से फुलवारी पुलिस पर कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गया. पुलिस अधिकारियों ने न्यायिक जांच का आदेश दिया . मेडिकल बोर्ड का गठन कर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में मृतक का पोस्टमार्टम पटना के पीएमसीएच में कराया गया।
फुलवारी शरीफ के बरहमपुर में रहने वाले सुरेंद्र सिंह का बेटा 27 वर्षीय सुशील कुमार उर्फ चिंटू के लापता हुए दो महीने से अधिक बीत जाने के बावजूद पुलिस उसकी अब तक उसका अता पता नहीं लगा पाई. उसके बाद इस मामले में एक बड़ी घटना हो गई जब अभियुक्त और लापता युवक के रिश्तेदार भाई नेपाली नगर निवासी जितेश कुमार को पुलिस कस्टडी में पूछताछ के दौरान तबीयत बिगड़ने और फिर इलाज के दौरान मौत होने का मामला सामने आया. वही इस मामले में मृतक युवक जितेश कुमार के भाई मुकेश कुमार और परिवार के अन्य लोगों ने आरोप लगाया है कि उसके ममेरे भाई लापता सुशील ऊर्फ चिंटू के गायब करने में जितेश का कोई हाथ नहीं है और न हीं उससे कोई लेना देना है,लेकिन इस मामले में लगातार पुलिस जितेश कुमार को टॉर्चर कर रहे थे.
जितेश के परिवार वालों ने आरोप लगाया की फुलवारी शरीफ थाना पुलिस 31 मार्च को जितेश को पकड़ कर ले गई और मारपीट कर उसकी हत्या कर दिया. मृतक जितेश के भाई मुकेश ने स्पष्ट रूप से बताया की फुलवारी शरीफ पुलिस अनुमंडल कार्यालय में पूछताछ के दौरान उसके भाई जितेश को बुरी तरह मारा पीटा गया उसके कपड़े खोलकर मारपीट की गई. इस दौरान जितेश के दो और सहयोगी दोस्त राहुल एवं एक अन्य वहां मौजूद थे जिन्हें अलग-अलग कमरों में रखा गया था. उन लोगों ने बताया कि मारपीट के दौरान जितेश बुरी तरह चिल्ला रहा था और अपने आप को बेगुनाह बताते हुए छोड़ देने की गुहार लगा रहा था. परिवार वालों को कहना है कि पुलिस स्टडी में ही जितेश की मौत हो गई थी जबकि पुलिस अपना पीछा छुड़ाने के लिए उसे झूठ-मूठ का अस्पताल में भर्ती कराया.बहरहाल पुलिस स्टडी में आरोपी की पूछताछ के दौरान हुई मौत के मामले में पुलिस अधिकारियों पर कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गया था।
इस मामले में बरहमपुर निवासी और रेलकर्मी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी इकलौती बहन राम जानकी देवी की शादी श्री राम सिंह से हुई है जो नेपाली नगर में रहते हैं.उनका भागना रितेश कुमार फोन करके उनका बेटा सुशील कुमार ऊर्फ चिंटू को बुला कर ले जाता था. सुरेंद्र सिंह का कहना है कि 6 तारीख को भी उनका भगना जितेश कुमार के बुलाने पर ही उनका बेटा गया था जिसके बाद उसका कोई अता पता नहीं चला. उन्होंने आशंका जताई है कि जितेश कुमार और अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर उनका बेटा सुशील ऊर्फ चिंटू की हत्या का लाश को कहीं खपा दिया गया है. उन्होंने बताया कि उनका बेटा प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करता था और फिलहाल वायरिंग करके कुछ कमा लेता था. उन्होंने बताया कि उनका भगिना जितेश कुमार बदमाश प्रवृत्ति का शुरू से रहा है. वही करीब दो माह से गायब बरहमपुर निवासी सुरेन्द्र सिंह कुमार का बेटा सुशील के बारे में पुलिस कुछ आता पता नहीं लगा पाई जिससे परिवार वाले बेचैन थे. वही सु शील के कथित अपहरण के आरोपित और रिश्तेदार जितेश कुमार की पुलिस हिरासत में मौत के बाद दोनों परिवार में खलबली मची हुई थी।
इस मामले में फुलवारी शरीफ थाना अध्यक्ष सफिर आलम ने कहा था कि पूछताछ के लिए एक अपहरण के मामले में जितेश कुमार को लाया गया था. इस दौरान उसकी तबीयत बिगड़ गई संभवत उसका हार्ट अटैक हो गया.हम लोग उसे इलाज के लिए एम्स ले गए थे जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
पटना सिटी एसपी पश्चिम अभिनव धीमान ने बताया कि 7 जनवरी को फुलवारी शरीफ के बरहमपुर निवासी सुरेन्द्र सिंह पे०-स्व० मुंशी सिंह ने फुलवारी शरीफ थाना में अपने बेटा सुशील कुमार उर्फ चिंटू को लापता कर दिए जाने का मामला दर्ज कराया था. इस मामले में उन्होंने बहन के पुत्र जितेश कुमार पिता श्रीराम सिंह निवासी नेपाली नगर पटना एवं बिट्टू ठाकुर मसौढ़ी निवासी के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी. सुरेंद्र सिंह वर्तमान में रेलवे टेकनिश्यिन बारसोई कटिहार के पद पर तैनात है. सुरेंद्र सिंह के आवेदन पर फुलवारीशरीफ थाना काण्ड संख्या 34/2024 दर्ज करके अनुसंधान किया जा रहा था।
अनुसंधान के क्रम मे संदेही अभियुक्त जितेश कुमार को पुछ-ताछ हेतु दिनांक-31.03.2024 को तकनिकी शाखा फुलवारीशरीफ, पुलिस अनुमण्डल पदाधिकारी कार्यालय लाया गया था.पुछ-ताछ के क्रम में ही उनकी तबियत खराब होने के पश्चात उन्हे तुरंत पी०एच०सी० फुलवारी लाया गया जहाँ से बेहतर ईलाज हेतु ऐम्स फुलवारी ले जाया गया जहाँ ईलाज के क्रम मे मृत्यु हो गयी.उसके उपरांत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिशा निर्देश के अनुरूप उनका इंक्वेस्ट दण्डाधिकारी द्वारा किया गया है एवं अन्त्यपरीक्षण मेडिकल बोर्ड के समक्ष विडीयोग्राफी के साथ किया गया .इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मानक प्रक्रिया के तहत न्यायिक जाँच करायी गई।