
कपड़े की झोपड़ी में 35 वर्षो से रहती अंधी मां और बेटी हुई लाचार
बलिया, संजय कुमार तिवारी यूपी एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ढोल पिट रहा है कि भारत विश्वगुरू बनने जा रहा है लेकिन विश्वगुरू बनने से पहले की सच्चाई तो कुछ और ही है।जी हम बात करते है बलिया के सोहांव ब्लॉक के एन एच 31 पर नई बस्ती में बसे ग्रामीणों की।जहां आज लगभग 35 सालों से एक अंधी और लाचार महिला अपनी बेटी के साथ नरक भरी जिंदगी जीने को मजबूर हो गई है।जरा गौर से देखिए इस तस्वीर को आपके रोगंटे खड़े हो जाएंगे और आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या यही विश्वगुरू बनने वाला भारत है जहां आज भी एक सरकारी आवास के लिए अंधी लाचार मां एक आंख अंधी अपनी बेटी को लेकर कपड़े से बनाई झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर है। यह महिला जहां रहती है वहां की स्थिति को देखिए क्या हालात है इस परिवार की।
सड़क के किनारे से लकड़ी बिनकर लाती है और ईट को रखकर खाना बनाती है इस अंधी मां का एक अंधी बेटी ही सहारा है जो भीख मानकर लाती है और अपने मां के साथ रहकर जीवन बसर करती है। बरसात के दिनों में बारिश होने पर महिला के झोपड़ी में भोजन नहीं बनता है। सरकार से कोई सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलता है। सरकारी सुविधा से वंचित है यह परिवार एक सरकारी राशन के शिवाय कुछ भी नही मिलता।गंगा की कटान में इस परिवार का सब कुछ बह गया कुछ नही बचा और वहां से भागकर एन एच 31 पर आकर रहने लगी बकायदे ये लोग वोट भी देते है नेता आते है और सांत्वना देकर चले जाते है लेकिन अंधी और लाचार महिला का कोई सहारा नहीं देता है। इस परिवार को देखिए प्रधानमंत्री जी आप विश्वगुरू बनने की बात करते है और यहां एक परिवार भीख मांगकर अपनी परिवार का जीवन पालती है अंधी बेटी कपड़े की झोपड़ी में रहने को मजबूर है। क्या यही विश्वगुरू है भारत।