संतालियों के भगवान लुगु बाबा के घर का आंगन है कैयरा झरना

बोकारो(खौफ 24): गोमिया प्रखंड की तुलबुल पंचायत के पिंडरा जंगल से 2 किलोमीटर की दूरी पर कैयरा झरना स्थित है। इसकी ऊंचाई करीब दो हजार फीट है। इसे संतालियों के भगवान लुगु बाबा के घर का आंगन कहा जाता है। आज भी यहां केले के कई पेड़ मौजूद हैं।
इस संबंध में तुलबुल पंचायत के पूर्व मुखिया जलेश्वर हांसदा ने बताया कि‍ लुगू बाबा अपने बेटी के ससुराल कर्मा के त्यौहार में पारसनाथ अपने समधी‍ मारंगबुरू के यहां गए थे। बेटी को लेकर लौटते वक्त नदी में बाढ़ आ गई थी। तब बड़े-बड़े पत्थरों को नदी में डालकर उन्होंने रास्ता बनाया। नदी को पार किया था। आज भी एक पत्थर पर उनकी बेटी के पद चिन्ह देखे जा सकते हैं।हांसदा ने बताया कि नदी पार कर लुगू बाबा कैयरा झरना में आराम करने के लिए बैठे थे। उनकी बेटी इस स्थान पर खेलती थी। उसी दिन से इस स्थान की मान्यता संतालि‍यों के दूसरे बडे़ धर्म स्थल के रूप में जाना जाता है। संतालि‍यों का ऐसा भी मानना है कि लुगु माता का स्थान इसी कैयरा झरना में आज भी है। यहां पर दूर-दूर से संताली आकर अपनी धार्मिक रीति-रिवाजों से पूजा अर्चना करते हैं। बाबा से मन्नतें मांगते हैं।बता दें कि पहाड़ की ऊंची चोटी से निरंतर सालों भर यहां एक झरना रूपी नाला पत्थरों के बीच से बहता रहता है, जो केले के पेड़ को छूता हुआ नीचे जाकर नदी में समा जाता है। संतालों का मानना है कि इस झरने का जल से कई तरह का रोग और कष्ट दूर होता है।

संताली इसको अमृत के रूप में मानते हैं।ग्रामीणों की माने तो बरसों पहले यह केले का बहुत बड़ा बागान हुआ करता था। हालांकि हाथियों का विचरण स्थल होने की वजह से वह बागान अब विलुप्त होता जा रहा है। कुछ ही पेड़ केले के बचे हैं।ग्रामीणों का कहना है कि अगर कोई कष्ट और परेशानी हो जाए तो झरना में आकर खैनी मसल कर बाबा को चढ़ा देने से बाबा प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी दुख और तकलीफ को दूर कर देते हैं।

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पूजा समिति के सचिव ने बताया कि वर्षों पहले मेरे बाबा लकड़ी चुनने के लिए सी पहाड़ पर आए थे। वंहां उनका शेर से सामना हो गया। उन्होंने लुगु बाबा को याद किया। खैनी मसलकर उनके नाम पर चढ़ा दिया। कुछ ही पल में शेर अपना रास्ता बदल कर दूसरी ओर चल दिया। ऐसे कई मान्यता यहां को लेकर है।पूर्व मुखिया जलेश्वर हांसदा ने सरकार से मांग की है कि इस स्थान का विकास किया जाए। कैयरा झरना को सुंदरीकरण कर संतालियों के धरोहर की संजोने की जरूरत है। आज भी कैयरा झरना बहुत से संतालि‍यों के नजर में गुमनाम है।


बंगाल से आए बाबुदास सोरेन
देश और विदेश में रहने वाले आदिवासियों का 22वां धर्म महासम्मेलन लुगू बुरु घंटाबड़ी धोरेमगढ़ में आज से शुरू हुआ। यह धर्म सम्मेलन दो दिनों तक चलेगा। कल कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेषकर इस सम्मेलन का अलग महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी आदिवासी समाज के लोग लोगों बाबा की पूजा अर्चना करेंगे। विदेश से दिनेश्वर आए आदिवासी समाज के लोग पारंपारिक वेशभूषा और गीत-संगीत के साथ धर्म सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे।
श्रद्धालु 3500 फीट ऊपर लुगू बाबा की गुफा में जाकर उनका दर्शन करेंगे। यहां आए लोगों का मानना है कि बाबा लोगों की मनोकामना को पूरा करेंगे। हमारे सभी लोगों का ख्याल रखेंगे। लोगों का कहना है कि यहीं लुगू बाबा ने आदिवासियों की रीति रिवाज को बनाने का काम किया था, जो आज भी चला रहा है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन बाबा ने 12 वर्षों तक आदिवासियों के साथ धर्म सम्मेलन किया था।

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