
मानसून एंट्री करेगा और तब तक पूरे राज्य के लोगों को हीटवेव की मार झेलनी पड़ेगी
रांची, (खौफ 24) राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में तापमान सिर चढ़कर बोल रहा है। रांची समेत 20 जिलों का तापमान 40 के पार पहुंच चुका है। यह तीसरी बार है कि रांची का तापमान 40 के पार पहुंचा है।
बता दें कि सिमडेगा 39.3 डिग्री, साहिबगंज 38.1 डिग्री, पाकुड़ 38.1 डिग्री और लोहरदगा 39.6 डिग्री को छोड़ दें तो बाकी जिलों में तापमान 40 के पार है। यह पहली बार है कि रांची समेत राज्य के 20 जिलों का तापमान 40 के पार पहुंचा है।
इस दिन तक रहेगा हीटवेव का असर
तपती गर्मी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक पखवाड़े से डाल्टनगंज का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही मंडरा रहा है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची के अनुसार 15 जून तक राज्य में संथाल परगना क्षेत्र से मानसून का प्रवेश हो सकता है।
लिहाजा, तब तक रांची समेत पूरे राज्य के लोगों को हीटवेव को झेलना होगा। केंद्र के पूर्वानुमान की माने तो मानसून केरल में प्रवेश कर पूर्वोतरh भारत की ओर लगातार बढ़ रहा है। 10 जून को गढ़वा और पलामू में हीटवेव का सर्वाधिक असर देखने को मिलेगा, इसे लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
हीटवेव को लेकर येलो अलर्ट जारी
वहीं चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, देवघर, गोड्डा, दुमका, गुमला, खूंटी, सिमडेगा, पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां में हीटवेव का असर देखने को मिलेगा, इन जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। इन जिलों में यह स्थिति 13 जून तक बनी रहेगी।
वहीं रांची में 12 जून को हीटवेव का असर देखने को मिलेगा। रांची में 10 जून को दोपहर बाद आंशिक बादल छाए रहेंगे जबकि 11 जून से 13 जून तक आंशिक बादल के साथ गर्जन वाले काले बादल भी छा सकते हैं।
देरी से दस्तक देगा मानसून
आमतौर पर बंगाल की खाड़ी के रास्ते मानसून केरल होते हुए देश के तटीय क्षेत्रों में प्रवेश करता है। 1 जून तक मानसून केरल प्रवेश कर चुका है। अबकी बार झारखंड में पिछले वर्ष की तुलना में अबकी बार तीन दिनों पूर्व मानसून प्रवेश करेगा।
पिछले वर्ष भी मानसून पांच दिनों की देरी से 18 से 20 जून तक झारखंड में प्रवेश किया था जबकि वर्ष 2022 को 6 दिनों की देरी से मानसून ने झारखंड में प्रवेश किया था। जबकि झारखंड में 12 जून तक मानसून प्रवेश का पूर्वानुमान किया जाता है।
मध्य व उत्तर पश्चिमी हिस्सों में देश के पश्चिमी हिस्से से आ रही गर्म हवाओं के कारण क्लाउड बैंड का असर कम हो जाता है। इन हिस्सों में लगातार सिमट रही हरियाली के कारण क्लाउड बैंड सही तरीके से नहीं बन पाता है। यदि बनता भी है तो हरे भरे क्षेत्रों में जाकर बरसता है।