सोनपुर मेला, एशिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है

बिहार, (खौफ 24) सारण ज़िले में लगने वाला सोनपुर मेला, एशिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है. यह मेला, गंगा और गंडक नदी के संगम पर लगता है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन शुरू होकर एक महीने तक चलता है. इस मेले का महत्व है कि यह मेला भगवान विष्णु और शिव की पूजा के इर्द-गिर्द शुरू हुआ था. यह मेला पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा है. इस मेले में कई तरह के सामान मिलते हैं.इस मेले में आस्था, लोक संस्कृति, और आधुनिकता का मेल दिखता है.

इस मेले में कई तरह के आयोजन होते हैं.

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आप को बता दे कि एक समय इस पशु मेले में मध्य एशिया से कारोबारी आया करते थे। अब भी यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। सोनपुर पशु मेला में आज भी नौटंकी और नाच देखने के लिए भीड़ उमड़ती है। एक जमाने में यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगता है.यह मेला, महीने भर चलता है. इस मेले में पशुओं की खरीदारी-फ़रोख्त होती है. इस मेले में नौटंकी और नाच भी होता है.इस मेले में मीना बाज़ार भी लगता है.

इस मेले में विदेशों से भी सैलानी आते हैं. इस मेले में सैलानियों के ठहरने की व्यवस्था होती है. इस मेले की शुरुआत, भगवान हरिहरनाथ की पूजा के लिए हुई थी.
इस मेले में पक्षी मेला भी लगता है. इस मेले में देश के अलग-अलग हिस्सों से व्यापारी अपने सामान लाते हैं. इस मेले में चोरी-चकारी से निपटने के लिए सामुदायिक पुलिस भी तैनात रहती है. इस मेले का ऐतिहासिक महत्त्व भी है। ऐसा माना जाता है कि इस मेले में मध्य एशिया से पशुओं की खरीदारी करने कारोबारी आया करते थे और यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य, मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुंवर सिंह ने भी सोनपुर मेले से हाथियों की खरीद की थी।

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