बालिका को दुबई के दम्पति द्वारा गोद लिया गया

पटना, (खौफ 24) जिलाधिकारी, पटना श्री शीर्षत कपिल अशोक द्वारा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दत्तक ग्रहण के संबंध में जारी मार्गदर्शिका 2022 के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए दो बालिकाओं को दत्तक ग्रहण से जोड़ा गया । जिला बाल संरक्षण ईकाई अन्तर्गत संचालित अरुणोदय, विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान, पटना में आवासित दोनों बालिकाओं में से एक बालिका को दुबई के दम्पति द्वारा गोद लिया गया । इस बालिका को मात्र एक माह की आयु में पटना जंक्शन से प्लेटफ़ॉर्म नं०-01 से लावारिश अवस्था में प्राप्त किया गया था तथा अन्य बालिका को केरल के दंपत्ति द्वारा गोद लिया गया, जिसे नौ माह की आयु में राजेंद्र नगर रेलवे स्टेशन से परित्यक्त अवस्था में प्राप्त किया गया था ।

इस अवसर पर सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई श्री उदय कुमार झा ने बताया की वर्तमान परिपेक्ष में बालकों की बजाय अब बालिकाओं को गोद लेने की चाह बढ़ रही है। स्थिति यह है कि दंपती बेटी को गोद लेने के लिए दो से तीन साल का इंतजार कर रहे हैं । जिला में पांच साल में कुल 92 बच्चे गोद लिए गए हैं, जिनमें 61 बालिकाएं और 31 बालक दत्तकग्रहण की प्रक्रिया अन्तर्गत गोद लिए गए हैं।

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पूर्व में दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया फैमिली कोर्ट से पूर्ण होती थी, प्रक्रिया को सुगम बनाने हेतु किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 में संशोधन करते हुए जिलाधिकारी को दत्तक ग्रहण आदेश जारी करने हेतु प्राधिकृत किया गया । जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि वैसे बच्चे जिनके सर से माता-पिता का छाया हट गया है, उनके जीवन में खुशी और माता-पिता का प्यार लौटाने के लिए पटना जिला प्रशासन आगे आया है । जिलाधिकारी ने अपील किया है, वैसे दंपति जो अनाथ बच्चों को गोद लेना चाहते है, उसके लिए जिला प्रशासन हर संभव सहयोग प्रदान करेगा ।

वैधानिक चेतावनीः-’’बच्चा हमेशा कानूनी प्रक्रिया द्वारा ही गोद लें। सार्वजनिक जगहों यथा अस्पताल/बस स्टेंड/रेलवे स्टेषन आदि जगहों पर से सीधे गोद न लें । यह विधि-विरुद्ध एवं दण्डनीय अपराध है।

  1. किशोर न्याय अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 एवं दत्तकग्रहण विनियम 2022 में निहित प्रावधानों एवं प्रक्रिया को अपनाए बिना किसी भी अनाथ अथवा परित्यक्त बच्चे को किसी भी व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से गोद लेना/देना दंडनीय अपराध है, जिसके लिए तीन साल तक का कारावास या 1 लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है। साथ ही किसी भी बच्चे को खरीदना बेचना एक दंडनीय अपराध है जिसके लिए 5 साल तक का सश्रम कारावास एवं 1 लाख रूपय के दंड का प्रावधान है।
  2. किसी भी अनाथ, परित्यक्त अथवा खोए हुए बच्चों के प्राप्त होने या सूचना मिलने पर संबंधित जानकारो चाइल्ड लाइन सेवा (इमरजेंसी हेल्प लाइन नं०-1098), 112 (आपातकालीन सहायता नं०), नजदीकी पुलिस स्टेशन को दे। संबंधित जानकारी बाल कल्याण समिति, अथवा जिला बाल संरक्षण इकाई को आवष्यक रूप् से दें । ऐसा नहीं करना दंडनीय अपराध है जिसके लिए दस हजार रूपये का अर्थदंड या छः महीने तक की सजा अथवा दोनों हो सकता है।
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